दास्य भक्ति का अर्थ
[ daasey bhekti ]
दास्य भक्ति उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- भक्ति के नौ भेदों में से एक,जिसमें उपासक अपने उपास्य देवता को स्वामी और अपने आप को दास समझता है:"भक्त रैदास दास्य भाव से ईश्वर को पूजते थे"
पर्याय: दास्य
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- हनुमान अर्थात दास्य भक्ति का आदर्श।
- दास्य भक्ति को प्रधानता दी गई।
- जिन्होंने उत्तर भारत में भगवान विष्णु की दास्य भक्ति पर बल दिया था , इनका
- रामावतार में दास्य भक्ति की बात है परंतु कृष्णावतार में सख्य भक्ति की बात है।
- जब भी दास्य भक्ति का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण देना होता है तो हनुमान की रामभक्ति का स्मरण होता है।
- जब भी दास्य भक्ति का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण देना होता है तो हनुमान की रामभक्ति का स्मरण होता है।
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- 3 - 4 ” style = color : blue > * / balloon > इसी को सामान्यत : दास्य भक्ति कहा जाता है।
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- ' ' ( आनंद रामायण 13 / 16 ) हनुमान जी का स्वरूप : भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार श्री हनुमान जी दास्य भक्ति के मूर्तमान स्वरूप हैं।